Monday, May 10, 2010

अबकी होली चलो एक नया रंग बनायें..


अबकी होली चलो एक नया रंग बनायें

केसरिया को थोड़ा हरा रंग लगायें

मीठी गुझियों के संग कुछ सेवैयाँ परोसें

जमातों में फ़िर अपनी टोली बनायें

ऐसी पिचकारियाँ सरहदें जो समेटे

ऐसे फगवा के सुर जो सभी को मिलायें

बहुत जल चुकी सरज़मीं की लकीरें

अबकी होली चलो सारी नफ़रत जलायें

ज़ख्मी होकर बुझीं जो उम्मीदें कभी

चलो इश्क़ का उनपे मलहम लगायें

अबकी होली चलो एक नया रंग बनायें..

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